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समान्य ज्ञान सीरीज ( फतेह part 1)

New pattern RAS,TR.,PATWAR:

























 * (A) टीका दौड़ अनुष्ठान के बहाने मुगल पोस्ता पर हमला करने की योजना बनाई गई थी। (सत्य): महाराणा राजसिंह ने मुगल चौकियों पर आक्रमण करने के लिए 'टीका दौड़' नामक एक रस्म का सहारा लिया। टीका दौड़ वास्तव में एक पारंपरिक उत्सव था, लेकिन राजसिंह ने इसका उपयोग अपनी सेना को गुप्त रूप से मुगल चौकियों के पास ले जाने और उन पर हमला करने की योजना बनाने के लिए किया।































 * डूंगरपुर के रावल उदय सिंह, मारवाड़ के राव गंगा, चंदेरी के मेदिनी राय: ये शासक खानवा के युद्ध के समय महत्वपूर्ण थे, लेकिन मध्यस्थ के रूप में सिलहदी तंवर की भूमिका ऐतिहासिक रूप से अधिक प्रमाणित है।  रावल उदय सिंह और राव गंगा राणा सांगा के सहयोगी थे। मेदिनी राय चंदेरी के शासक थे और खानवा के युद्ध में राणा सांगा के पक्ष में लड़े थे।













 * घीसूलाल जाजोदिया, देवी प्रसाद, सेठ दानोदर दास राठी: ये नाम भी राजस्थान के इतिहास में महत्वपूर्ण हैं, लेकिन अमरचन्द बांठिया की तरह रानी लक्ष्मीबाई और तात्या टोपे को वित्तीय सहायता प्रदान करने में उनकी सीधी भूमिका ज्ञात नहीं है। सेठ दानोदर दास राठी भी एक दानवीर थे, लेकिन 1857 की क्रांति के संदर्भ में अमरचन्द बांठिया की भूमिका अधिक प्रसिद्ध है।













 * चरी नृत्य: फलकू बाई किशनगढ़ की एक प्रसिद्ध नृत्यांगना हैं, जो चरी नृत्य के लिए विश्व स्तर पर पहचानी जाती हैं। चरी नृत्य राजस्थान का एक पारंपरिक लोक नृत्य है, विशेष रूप से गुर्जर समुदाय में लोकप्रिय। इस नृत्य में महिलाएं सिर पर पीतल की चरी (पानी भरने का बर्तन) रखकर नृत्य करती हैं, जिसमें जलती हुई कपास की कलियाँ रखी जाती हैं।


 * तेरहताली नृत्य, भवई नृत्य, कच्छी घोड़ी नृत्य: ये सभी राजस्थान के प्रसिद्ध लोक नृत्य हैं, लेकिन फलकू बाई मुख्य रूप से चरी नृत्य से संबंधित हैं। तेरहताली नृत्य कामड़ जनजाति द्वारा किया जाता है, भवई नृत्य में शारीरिक कलाबाजी और संतुलन का प्रदर्शन होता है, और कच्छी घोड़ी नृत्य एक प्रतीकात्मक नृत्य है जिसमें बांस की घोड़ी का उपयोग किया जाता है।
















































-  यह छवि राजस्थान के वर्षा मानचित्र को दर्शाती है जिसमें समवर्षा रेखाएँ (isohyets) दिखायी गयी हैं। 60 सेमी समवर्षा रेखा को विशेष रूप से चिह्नित किया जाना चाहिए, और यह देखा जा सकता है कि यह रेखा जयपुर, सवाई माधोपुर, राजसमंद और अजमेर जिलों से होकर गुजरती है। मानचित्र में वर्षा की मात्रा के आधार पर विभिन्न क्षेत्रों को अलग-अलग रंगों में दिखाया जा सकता है, जिससे 60 सेमी समवर्षा रेखा की स्थिति और महत्व स्पष्ट हो सके।


























































 * सही उत्तर: (1) टोंक और जैसलमेर - यह गलत है। सही उत्तर (2) नागौर और धौलपुर है। विकल्प में त्रुटि हो सकती है।  विकल्प (2) नागौर और धौलपुर सबसे सटीक है अगर दिए गए विकल्पों में से चयन करना हो।  वास्तव में, अधिकतम शहरी बाल लिंगानुपात टोंक और न्यूनतम धौलपुर था। यदि विकल्पों में जैसलमेर की जगह धौलपुर होता, तो (2) नागौर और धौलपुर सही उत्तर होता। संभवतः प्रश्न या विकल्पों में टाइपिंग त्रुटि है।  सबसे सटीक विकल्प (2) नागौर और धौलपुर है, क्योंकि धौलपुर न्यूनतम शहरी बाल लिंगानुपात वाला जिला था।




























 * पुनर्विलोकन का अर्थ: पुनर्विलोकन का मतलब है कि उच्चतम न्यायालय अपने ही पहले दिए गए निर्णय पर दोबारा विचार कर सकता है। यदि न्यायालय को लगता है कि पहले के निर्णय में कोई त्रुटि थी, या कोई महत्वपूर्ण तथ्य छूट गया था, या कानून की गलत व्याख्या की गई थी, तो न्यायालय अपने पुराने निर्णय को बदल सकता है, सुधार सकता है या रद्द भी कर सकता है।













 * वाद का विषय:  सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में राज्यपाल की उन शक्तियों की व्याख्या की, जिनके तहत वह सरकार के बहुमत का निर्धारण कर सकता है, विशेष रूप से जब सरकार की स्थिरता संदिग्ध हो। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्यपाल को अपनी शक्तियों का प्रयोग विवेकपूर्ण ढंग से और संविधान के सिद्धांतों के अनुरूप करना चाहिए।















 * शपथ या प्रतिज्ञान का प्रावधान: अनुच्छेद 188 के अनुसार, राज्य विधान सभा के प्रत्येक सदस्य को अपना स्थान ग्रहण करने से पहले राज्यपाल या इस निमित्त उनके द्वारा नियुक्त किसी व्यक्ति के समक्ष संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखने और भारत की संप्रभुता और अखंडता को अक्षुण्ण रखने की शपथ लेनी होती है या प्रतिज्ञान करना होता है।















 * मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश राज्य में विधान सभा की 230 सीटें हैं। विकल्प में 280 दिया गया है, जो कि गलत है। [ध्यान दें: प्रश्न में दिए गए विकल्प में मध्य प्रदेश के लिए 280 सीटें दी गई हैं, जो कि गलत है, सही संख्या 230 है। इसलिए, मध्य प्रदेश का विकल्प भी गलत युग्म हो सकता है, यदि प्रश्न के अनुसार केवल एक ही विकल्प चुनना है तो कर्नाटक अधिक स्पष्ट रूप से गलत है क्योंकि 224 सही संख्या है और 226 काफ़ी अलग है जबकि मध्य प्रदेश के लिए दी गई संख्या और वास्तविक संख्या में बड़ा अंतर है पर प्रश्न के विकल्प में दी गयी संख्या ही पूछी गयी है इसलिए कर्नाटक अधिक सटीक उत्तर है।]





[स्पष्टीकरण: प्रश्न में एक से अधिक गलत युग्म हो सकते हैं, लेकिन विकल्पों के अनुसार, विकल्प (1) कर्नाटक अधिक स्पष्ट रूप से गलत है क्योंकि इसकी दी गई संख्या वास्तविक संख्या से सबसे अधिक भिन्न है। यदि प्रश्न का उद्देश्य एक गलत युग्म चुनना है, तो कर्नाटक सबसे उपयुक्त उत्तर है। यदि प्रश्न में त्रुटि है और केवल एक सही युग्म होना चाहिए था, तो कर्नाटक और मध्य प्रदेश दोनों ही गलत युग्म हैं, लेकिन कर्नाटक की त्रुटि कम संभावित है क्योंकि 224 संख्या आसानी से उपलब्ध और सत्यापित है, जबकि मध्य प्रदेश की त्रुटि टंकण त्रुटि हो सकती है।]

















 * विकल्प (3) उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की योग्यता के संदर्भ में सही नहीं है। 'राष्ट्रपति की राय में पारंगत विधिवत्ता' होने की योग्यता केवल सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के लिए है। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के लिए न्यायिक पद पर दस वर्ष का अनुभव या उच्च न्यायालय में दस वर्ष की वकालत ही मुख्य योग्यताएं हैं।








 * अनुच्छेद 228: (2) अनुच्छेद 228 दो या अधिक राज्यों के लिए एक ही उच्च न्यायालय की स्थापना - सही सुमेलित नहीं है:  अनुच्छेद 228 कुछ मामलों का उच्च न्यायालयों को अंतरण (Transfer of certain cases to High Court) से संबंधित है, यदि उच्च न्यायालय को लगता है कि अधीनस्थ न्यायालय में लंबित किसी मामले में संविधान की व्याख्या से संबंधित कानून का कोई सारवान प्रश्न अंतर्निहित है। दो या अधिक राज्यों के लिए एक ही उच्च न्यायालय की स्थापना का प्रावधान अनुच्छेद 231 में है, न कि अनुच्छेद 228 में।






























अनुच्छेद 243K भारतीय संविधान के भाग IX (पंचायतें) का हिस्सा है, जिसे 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा जोड़ा गया था।  राज्य निर्वाचन आयोग एक स्वतंत्र संवैधानिक निकाय है जो निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार है। यह पंचायतों की चुनावी प्रक्रिया की स्वायत्तता और विश्वसनीयता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।






 * कथन (i): दूसरी पंचवर्षीय योजना के दौरान योजना आयोग ने सामुदायिक विकास कार्यक्रम की समीक्षा के लिए 1956 में बलवंत राय मेहता की अध्यक्षता में एक समिति नियुक्त की। यह कथन सही है।  1952 में शुरू किए गए सामुदायिक विकास कार्यक्रम (सीडीपी) और 1953 में शुरू किए गए राष्ट्रीय विस्तार सेवा (एनईएस) कार्यक्रमों की समीक्षा के लिए बलवंत राय मेहता समिति का गठन किया गया था।


 * कथन (ii): मेहता समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि सामुदायिक विकास कार्यक्रम विफल हो गया क्योंकि यह स्थानीय लोगों में अपेक्षित रुचि पैदा नहीं कर सका। यह कथन भी सही है। मेहता समिति ने पाया कि सीडीपी और एनईएस कार्यक्रम वांछित परिणाम प्राप्त करने में विफल रहे क्योंकि वे लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने में असफल रहे।














74वां संविधान संशोधन अधिनियम शहरी स्थानीय स्वशासन के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इसने नगरपालिकाओं (Municipalities) को संवैधानिक दर्जा दिया और उन्हें अधिक शक्तियाँ और जिम्मेदारियाँ सौंपीं। 12वीं अनुसूची में उल्लिखित 18 विषय शहरी नियोजन, शहरी गरीबी उन्मूलन, सार्वजनिक स्वास्थ्य, स्वच्छता, आदि जैसे क्षेत्रों को कवर करते हैं।











भारत में शहरी प्रशासन से संबंधित कई समितियाँ और आयोग गठित किए गए हैं। इनका उद्देश्य शहरी स्थानीय निकायों को मजबूत करना, उनकी कार्यप्रणाली में सुधार लाना और शहरी क्षेत्रों में बेहतर नागरिक सुविधाएँ सुनिश्चित करना रहा है।  जॉन मथाई आयोग, मुख्य रूप से वित्तीय मुद्दों पर केंद्रित होने के कारण, इस संदर्भ में अलग है।






 * कथन (i): मतदाताओं का व्यवहार सामाजिक-आर्थिक कारकों से प्रभावित होता है। यह कथन सही है। सामाजिक-आर्थिक कारक जैसे शिक्षा, आय, व्यवसाय, सामाजिक वर्ग आदि मतदाताओं के मतदान व्यवहार को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए, उच्च शिक्षा और आय वाले मतदाता आमतौर पर अलग तरह से वोट करते हैं, जबकि कम आय और शिक्षा वाले मतदाताओं का रुझान भिन्न हो सकता है।



 * कथन (iii): वर्तमान में चुनावों में मतदाता पूर्णतः आदेशित रूप से भाग लेते हैं। यह कथन सही नहीं है। जबकि भारत में राजनीतिक दल और नेता मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं, मतदाता पूरी तरह से 'आदेशित' रूप से भाग नहीं लेते हैं। मतदाता अब पहले से कहीं अधिक जागरूक और स्वतंत्र हैं। वे विभिन्न कारकों जैसे उम्मीदवारों की योग्यता, मुद्दों, और अपनी स्वयं की राजनीतिक विचारधारा के आधार पर वोट करते हैं।  मतदान व्यवहार अब अधिक जटिल और बहुआयामी हो गया है।




 
 
 

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