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सामान्य ज्ञान फतेह सीरीज (फतेह पार्ट 3 )

लेखक की तस्वीर: Dp sir (writer)Dp sir (writer)

New pattern RAS,TR.,PATWAR:





बेरुबारी मामले (Berubari Union case, 1960) में, सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार यह राय व्यक्त की कि प्रस्तावना (Preamble) संविधान का हिस्सा नहीं है।  कोर्ट ने यह माना कि प्रस्तावना संविधान निर्माताओं के सामान्य उद्देश्यों को दर्शाती है, लेकिन इसे संविधान के कानूनी रूप से लागू होने वाले भाग के रूप में नहीं देखा जा सकता।  इस मामले में, राष्ट्रपति ने अनुच्छेद 143 के तहत सुप्रीम कोर्ट से सलाह मांगी थी कि क्या भारत सरकार बेरुबारी संघ को पाकिस्तान को सौंपने के लिए संवैधानिक रूप से बाध्य है। इस संदर्भ में कोर्ट ने प्रस्तावना की प्रकृति पर विचार किया।


हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह दृष्टिकोण बाद के मामलों में बदल गया। विशेष रूप से केशवानंद भारती मामले (Kesavananda Bharati case, 1973) में, सुप्रीम कोर्ट ने बेरुबारी मामले में दिए गए फैसले को पलट दिया और यह स्थापित किया कि प्रस्तावना संविधान का एक अभिन्न अंग है।  केशवानंद भारती मामले में, कोर्ट ने माना कि प्रस्तावना संविधान की मूल संरचना का हिस्सा है और इसे संशोधित किया जा सकता है, लेकिन इसकी मूल विशेषताओं को बदला नहीं जा सकता।









 * (1) भारत निर्वाचन आयोग एक स्थायी संवैधानिक निकाय है और इसकी स्थापना संविधान के अनुसार 25 जनवरी, 1952 को हुई थी।  यह कथन आंशिक रूप से गलत है।  भारत निर्वाचन आयोग निश्चित रूप से एक स्थायी संवैधानिक निकाय है (अनुच्छेद 324 के तहत स्थापित), लेकिन इसकी स्थापना 25 जनवरी, 1950 को हुई थी, न कि 1952 को।  25 जनवरी को ही राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाया जाता है।


 * (2) बहु-सदस्यीय आयोग की अवधारणा 1990 से लागू है, जिसमें बहुमत के मत से निर्णय लेने की शक्ति है। यह कथन आंशिक रूप से गलत है।  बहु-सदस्यीय आयोग की अवधारणा 1993 से स्थायी रूप से लागू है।  1989 में, चुनाव आयोग को अस्थायी रूप से बहु-सदस्यीय बनाया गया था, लेकिन यह व्यवस्था जल्द ही समाप्त हो गई। 1993 से, यह स्थायी रूप से बहु-सदस्यीय निकाय है और निर्णय बहुमत के आधार पर लिए जाते हैं।



 * (4) राष्ट्रपति मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करते हैं और उनका कार्यकाल पाँच वर्ष या 60 वर्ष की आयु तक होता है, जो भी पहले हो। यह कथन गलत है।  राष्ट्रपति निश्चित रूप से मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करते हैं, लेकिन उनका कार्यकाल छह वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक होता है, जो भी पहले हो।













ध्यान दें:  इंदिरा गांधी अपने पहले कार्यकाल में राज्यसभा की नेता थीं।  हालांकि, विकल्प (4) अभी भी पूरी तरह से सही नहीं है क्योंकि नरेंद्र मोदी कभी भी राज्यसभा के नेता नहीं रहे हैं, लेकिन इंदिरा गांधी रही हैं।  फिर भी, विकल्प (1) लाल बहादुर शास्त्री और वी.पी. सिंह सबसे सटीक उत्तर है क्योंकि इस संयोजन में दोनों प्रधानमंत्री कभी भी राज्यसभा के नेता नहीं रहे।









 * (3) संसदीय समिति अपनी रिपोर्ट सदन या अध्यक्ष और सचिवालय को प्रस्तुत करती है। यह कथन आंशिक रूप से गलत है। संसदीय समितियाँ अपनी रिपोर्ट सदन को या अध्यक्ष/सभापति को प्रस्तुत करती हैं, न कि 'और' सचिवालय को।  सचिवालय समिति के कामकाज में सहायता करता है, लेकिन रिपोर्ट का आधिकारिक प्राप्तकर्ता सदन या अध्यक्ष/सभापति होता है।  सचिवालय को रिपोर्ट की प्रतिलिपि भेजी जा सकती है, लेकिन सचिवालय को रिपोर्ट प्रस्तुत करना सही नहीं होगा।


 * (4) संसदीय समिति अपनी रिपोर्ट प्रधान मंत्री को प्रस्तुत करती है। यह कथन गलत है। संसदीय समितियाँ संसद के प्रति जवाबदेह होती हैं, न कि सीधे प्रधान मंत्री के प्रति। वे अपनी रिपोर्ट सदन को या अध्यक्ष/सभापति को प्रस्तुत करती हैं, जो सदन में विचार और बहस के लिए रखी जाती है।  संसदीय समितियाँ सरकार (कार्यपालिका) पर निगरानी रखने और संसद को सूचित निर्णय लेने में मदद करने के लिए बनाई जाती हैं।  इसलिए, वे अपनी रिपोर्ट प्रधान मंत्री को नहीं बल्कि संसद को प्रस्तुत करती हैं।















 * (4) सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश और एक प्रतिष्ठित न्यायविद। यह विकल्प दिए गए विकल्पों में से सबसे करीब है।  हालांकि यह उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को शामिल नहीं करता है, लेकिन यह मुख्य न्यायाधीश या सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश वाले पहले मानदंड को पूरा करता है और एक प्रतिष्ठित न्यायविद को भी शामिल करता है।  यह





















   * कथन A: ओरिया पठार गुरुशिखर के नीचे स्थित है। - सत्य। ओरिया पठार राजस्थान का सबसे ऊँचा पठार है और यह गुरुशिखर के निकट ही स्थित है। गुरुशिखर अरावली पर्वतमाला की सबसे ऊँची चोटी है और ओरिया पठार इसी पर्वतमाला क्षेत्र में अवस्थित है। यहाँ "नीचे" का अर्थ भौगोलिक रूप से निकटता और गुरुशिखर के सापेक्ष निचले क्षेत्र में होना माना जा सकता है, हालांकि ओरिया पठार स्वयं एक ऊँचा पठार है।


   * कथन B: छप्पन का मैदान बनास बेसिन का हिस्सा है। - असत्य। छप्पन का मैदान राजस्थान के दक्षिणी भाग में स्थित है, और यह मुख्य रूप से माही नदी और उसकी सहायक नदियों द्वारा निर्मित है। यह मैदान बांसवाड़ा और प्रतापगढ़ जिलों में फैला हुआ है।  बनास बेसिन पूर्वी राजस्थान में स्थित है और यह बनास नदी और उसकी सहायक नदियों द्वारा सिंचित क्षेत्र है।  इसलिए, छप्पन का मैदान बनास बेसिन का हिस्सा नहीं है।



   * कथन D: मुकुंदरा पहाड़ियाँ कोटा और बारां जिलों के बीच स्थित हैं। - असत्य/भ्रामक। मुकुंदरा पहाड़ियाँ मुख्य रूप से कोटा और झालावाड़ जिलों में विस्तृत हैं।  जबकि इनका कुछ हिस्सा बूंदी और चित्तौड़गढ़ जिलों में भी आता है, लेकिन ये पहाड़ियाँ कोटा और बारां के बीच में स्थित नहीं हैं। बारां जिला कोटा के पूर्व में स्थित है और मुकुंदरा पहाड़ियाँ कोटा के दक्षिणी भाग में अधिक केंद्रित हैं।









































 * चंद्र व्याकरण (Chandra Grammar):  चंद्र व्याकरण बौद्ध विद्वान चंद्रगोमिन द्वारा रचित एक महत्वपूर्ण व्याकरण ग्रंथ है। चंद्रगोमिन 5वीं शताब्दी ईस्वी में हुए थे, जो गुप्त काल के समकालीन थे। यह ग्रंथ संस्कृत व्याकरण के नियमों को व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत करता है और उस समय की भाषा और साहित्य को समझने में महत्वपूर्ण है।
















































 * रास बिहारी बोस (Rashbehari Bose): रास बिहारी बोस एक भारतीय क्रांतिकारी थे जिन्होंने भारत से बाहर रहकर स्वतंत्रता आंदोलन को संगठित किया। उन्होंने जापान में इंडियन इंडिपेंडेंस लीग (Indian Independence League - IIL) की स्थापना की और 1942 में टोक्यो में आज़ाद हिंद फ़ौज के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने फ़ौज के पहले सेनापति के रूप में भी कार्य किया। बाद में, सुभाष चंद्र बोस ने इसका नेतृत्व संभाला।




















 * अन्य पत्रिकाएं और समाचार पत्र जिनसे बिपिन चंद्र पाल जुड़े थे:  बिपिन चंद्र पाल ने कई अन्य पत्रिकाओं और समाचार पत्रों से भी संबंध रखा, जिनमें 'न्यू इंडिया', 'बंदे मातरम', 'स्वराज' और 'डेमोक्रेट' प्रमुख हैं। उन्होंने अपने लेखों और भाषणों के माध्यम से स्वदेशी, स्वराज और राष्ट्रीय शिक्षा के विचारों को बढ़ावा दिया।















 * कथन 3 की समीक्षा (Review of Statement 3): कथन 3 लगभग सही है।  सरदार पटेल ने 'इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन (Instrument of Accession)' (विलय पत्र) का मसौदा तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसके माध्यम से रियासतों को भारत में विलय के लिए सहमत कराया गया। यहाँ 'इंस्ट्रूमेंट ऑफ मर्जर' शब्द का प्रयोग किया गया है जो 'इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन' के समान ही है और संदर्भ में सही है।


 * कथन 4 की समीक्षा (Review of Statement 4): कथन 4 गलत है। सरदार वल्लभभाई पटेल गवर्नर जनरल के संवैधानिक सलाहकार (Constitutional Adviser) नहीं थे। गवर्नर जनरल के संवैधानिक सलाहकार का पद बी. एन. राव (B.N. Rau) ने संभाला था। सरदार पटेल अंतरिम सरकार और बाद में स्वतंत्र भारत सरकार में गृह मंत्री और रियासत विभाग के मंत्री के रूप में कार्यरत थे।  उनका मुख्य कार्य रियासतों का विलय और देश को एकजुट करना था, न कि संवैधानिक सलाह देना।











 * आहड़ (Ahar): आहड़, राजस्थान में स्थित एक महत्वपूर्ण ताम्रपाषाणिक (Chalcolithic) स्थल है।  इस स्थल की खुदाई नीलरत्न बनर्जी और वी. एन. मिश्रा जैसे पुरातत्ववेत्ताओं द्वारा की गई थी। आहड़ संस्कृति, जिसे बनास संस्कृति भी कहा जाता है, लगभग 3000 ईसा पूर्व से 1500 ईसा पूर्व तक विकसित हुई थी। आहड़ से ताम्र उपकरण, मृदभांड (मिट्टी के बर्तन), और अन्य पुरातात्विक अवशेष प्राप्त हुए हैं जो उस समय के जीवन और संस्कृति पर प्रकाश डालते हैं।



   * बैराठ (Bairath): बैराठ, राजस्थान में स्थित एक ऐतिहासिक स्थल है। यह मौर्य काल और गुप्त काल से संबंधित है। बैराठ की खुदाई डी. आर. साहनी (D.R. Sahni) और एन. आर. बनर्जी (N.R. Banerjee) जैसे पुरातत्ववेत्ताओं द्वारा की गई थी। यहाँ से अशोक के शिलालेख और बौद्ध अवशेष प्राप्त हुए हैं।  ध्यान दें कि यहाँ 'एन.आर. बनर्जी' का नाम है, नीलरत्न बनर्जी नहीं। कई बार नामों में समानता के कारण भ्रम हो सकता है।













 * रज्जिल: रज्जिल गुर्जर-प्रतिहार वंश के एक शासक थे और उन्हें 'रोहिल्लद्धि' नाम से जाना जाता था। गुर्जर-प्रतिहार वंश ने 8वीं से 10वीं शताब्दी तक उत्तरी भारत पर शासन किया। रज्जिल के बारे में ऐतिहासिक अभिलेख सीमित हैं, लेकिन उन्हें इस वंश के महत्वपूर्ण शासकों में गिना जाता है।  'रोहिल्लद्धि' उपाधि उनकी शक्ति और प्रतिष्ठा का प्रतीक हो सकती है, हालांकि इस उपाधि के विशिष्ट अर्थ के बारे में इतिहासकारों में अलग-अलग मत हैं।















 * देवड़ा सुरतणा: देवड़ा सुरतणा, कान्हड़देव के मुख्य मंत्री थे। कान्हड़देव जालोर के चौहान वंश के शासक थे, जिन्होंने 13वीं शताब्दी के अंत और 14वीं शताब्दी की शुरुआत में शासन किया।  देवड़ा सुरतणा, कान्हड़देव के एक विश्वासपात्र और महत्वपूर्ण सलाहकार थे। अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण के समय, उन्होंने कान्हड़देव की सहायता की थी।









































* अग्निवाण: अग्निवाण, राजस्थानी भाषा का प्रथम राजनीतिक समाचार पत्र था। यह 1930 के दशक में प्रकाशित होना शुरू हुआ।  यह समाचार पत्र स्वतंत्रता आंदोलन और राजनीतिक जागरूकता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण था। राजस्थानी भाषा में राजनीतिक विचारों को व्यक्त करने और जनता तक पहुंचाने में अग्निवाण ने अग्रणी भूमिका निभाई।



 
 
 

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